अथाह सागर की खामोशी इस दिल मे ले के बैठा हूँ...
जो सुनना हो तो आओ कभी रातों को मेरे किनारों पर
अंधे शहर की रोशनी को लहरों मे समा के बैठा हूँ.....
जो देखना हो तो आओ कभी चाँदनी के इशारों पर...
जो सुनना हो तो आओ कभी रातों को मेरे किनारों पर
अंधे शहर की रोशनी को लहरों मे समा के बैठा हूँ.....
जो देखना हो तो आओ कभी चाँदनी के इशारों पर...
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