Monday, April 2, 2012

Yun hi

अथाह सागर की खामोशी इस दिल मे ले के बैठा हूँ...
जो सुनना हो तो आओ कभी रातों को मेरे किनारों पर


अंधे शहर की रोशनी को लहरों मे समा के बैठा हूँ.....
जो देखना हो तो आओ कभी चाँदनी के इशारों पर...